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Principles
दुनिया भर में कई श्रमिकों पर कार्यस्थल में शोषण का संकट मँडराता रहता है। यह खतरा उन्हें कई कारणों और तरीकों की वजह से रहता है। यूँ तो ये सिद्धांत किसी भी कमज़ोर श्रमिक पर लागू होते हैं, लेकिन इन्हें खासतौर पर उन प्रवासी श्रमिकों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जो अक्सर कार्यस्थल में कुछ खास तरह के जोखिमों का सामना करते हैं।
बुनियादी सिद्धांत
#1
सभी [प्रवासी] श्रमिकों के पास कार्यस्थल से जुड़े अधिकार होते हैं।[1]
#2
कमज़ोर श्रमिकों (प्रवासियों सहित) की अत्याचार और शोषण से सुरक्षा की जानी चाहिए चाहे उनका अनुबंध या आव्रजन स्थिति कुछ भी हो।
#3
सभी श्रमिकों का समर्थन किया जाना चाहिए और उन्हें शिकायत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सेक्शन के बीच की कमज़ोरियों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए जैसे कि महिला अप्रवासी श्रमिकों के मामले में क्योंकि महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार और लिंग के आधार पर भेदभाव जैसी घटनाएँ होने की ज़्यादा संभावना रहती है, जिसकी वजह से वे शिकायत दर्ज करने से कतरा सकती हैं।
#4
जिन श्रमिकों के अधिकारों का हनन हुआ है, उन्हें उचित उपचार मिलना चाहिए।
#5
हर कार्यस्थल में शिकायत नीति और प्रणालियाँ उपलब्ध होनी चाहिए।
#6
व्यक्तिगत और सामूहिक शिकायतों का समाधान और उपचार की व्यवस्था तब सबसे अच्छी तरह की जा सकती है, जब श्रमिक और उनके नियोक्ता ये काम आपस में सही समय पर और सीधे तौर पर करें।
कंपनी की भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ
#7
कंपनियों को चाहिए कि वे श्रमिकों के अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए कदम उठाएँ (जैसे पासपोर्ट ज़ब्त करके उनके आवागमन की आज़ादी पर पाबंदी लगाना)।
#8
उपचार की किसी भी प्रक्रिया में सबसे पहले उन श्रमिकों की सुरक्षा की जानी चाहिए, जो अधिकारों के उल्लंघन का शिकार हुए हैं। कार्यस्थल में अक्सर अपने अधिकारियों द्वारा यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का शिकार बनाई गई महिलाओं की सुरक्षा और भी ज़रूरी है, ताकि उन्हें बदले की संभावित कार्रवाइयों से बचाया जा सके।
#9
कर्मचारियों की रोज़गार नीतियाँ और प्रक्रियाएँ बिल्कुल पारदर्शी होनी चाहिए और श्रमिकों के बुनियादी अधिकार उनकी मुख्य भावना में शामिल होने चाहिए। सभी श्रमिकों को उनके अधिकारों को समझने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
#10
रोज़गार नीतियाँ और प्रक्रियाओं में उपचार और शिकायत की सशक्त प्रणालियाँ शामिल होनी चाहिए । सभी श्रमियों को इनकी जानकारी उस भाषा में दी जानी चाहिए, जिसे वे समझ सकें और ऐसे माध्यम से दी जानी चाहिए जिस तक उनकी पहुँच हो।
#11
व्यावसायिक ग्राहकों (खरीदारों) को यह पक्का करना चाहिए कि उनके आपूर्तिकर्ताओं के यहाँ शिकायत और उपचार की ऐसी नीतियाँ मौजूद हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रक्रिया के अनुरूप हैं। उलझन और दोहराव से बचने के लिए, खरीदारों को उनकी अपनी शिकायत प्रणालियाँ थोपने से बचना चाहिए।
#12
शिकायतों का समाधान करने का सबसे प्रभावी तरीका है श्रमिकों द्वारा सर्वमान्य रूप से चुने गए प्रतिनिधि (आदर्श रूप से श्रमिक संघ) और नियोक्ता आपसी मध्यस्थता से समस्या को हल करें। अगर ऐसा करना संभव नहीं है, तो अधिकारियों, अनेक हिस्सेदारों या अन्य विश्वसनीय संगठनों की मदद ली जानी चाहिए।
#13
कंपनी की शिकायत प्रबंधन प्रणालियाँ ऐसी होनी चाहिए, जो सरकार की ज़िम्मेदारियों की पूरक की तरह काम करें, उनकी जगह लेने या उन्हें खोखला बनाने की कोशिश न करें।
#14
जहाँ भी संभव हो, वहाँ कंपनी की शिकायत प्रबंधन प्रणालियाँ श्रमिकों से परामर्श ले कर विकसित की जानी चाहिए, जैसे श्रमिक संघ के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करके।
#15
कंपनियों को चाहिए कि वे श्रमिकों को समस्याओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करें और शिकायत दर्ज करने या किसी गुप्त समस्या को उजागर करने के फलस्वरूप होने वाले किसी भी तरह के नकारात्मक नतीजों से श्रमिकों की सुरक्षा करें।
#16
जहां ट्रेड यूनियनों और नियोक्ताओं के बीच सीधी बातचीत संभव नहीं है, वहां शिकायतों को सुलझाने में मदद करने के लिए कंपनियों और कर्मचारियों को पारस्परिक रूप से भरोसेमंद स्वतंत्र तृतीय पक्षों की तलाश करनी चाहिए और स्वीकार्य उपचार पर सहमत होना चाहिए।
सरकार की भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ
#17
सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि वे श्रमिक कानून लागू करें और पक्का करें कि उनके यहाँ मौजूद उचित नियम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं।
#18
सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि वे इस पर नज़र रखें कि व्यवसाय उन श्रमिक कानूनों का अनुपालन करते हैं, जो श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा करते हैं।
#19
सरकारों को कानून का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर उचित जुर्माने लगाने चाहिए।
#20
सरकारों को चाहिए कि वे व्यवसायों को ऐसी कार्यशील शिकायत प्रबंधन प्रणालियाँ रखने के लिए प्रोत्साहित करें, जो प्रभावी, सुलभ और पारदर्शी हों।
#21a
अप्रवासी श्रमिकों को भेजने या उन्हें अपने यहाँ बुलाने वाली हर सरकार को चाहिए कि वह श्रमिकों को भेजने वाले और उन्हें अपने यहाँ बुलाने वाले देश के बीच एक द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन स्थापित करे, जिसमें प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा के नियम शामिल हों और जो नियुक्ति शुल्क का भुगतान करने के बदले श्रमिकों से करवाई जाने वाली बंधुआ मज़दूरी से उनकी सुरक्षा करता हो।
#21b
प्रवासी श्रमिकों को बुलाने और भेजने वाले देशों के बीच होने वाले द्विपक्षीय MOU की जानकारी नियोक्ताओं और श्रमिकों को दी जानी चाहिए। इन समझौतों को लागू करने और इन पर नज़र रखने की ज़िम्मेदारी सरकारों की होगी।
श्रमिकों के अधिकार और ज़िम्मेदारियाँ
#22
अपने नियोक्ता के साथ होने वाली बातचीत से जुड़ी किसी भी शिकायत के संबंध में आवाज़ उठाने के लिए, सभी श्रमिकों के पास संगठित होने और स्वतंत्र व सर्वमान्य रूप से चुने गए श्रमिक संघों या श्रमिक संगठनों द्वारा सामूहिक रूप से अपना प्रतिनिधित्व करवाने का अधिकार होगा।
#23
श्रमिकों को उनके अधिकारों से अवगत करवाया जाना चाहिए और साथ ही उन्हें शिकायत दर्ज करने और उपचार हासिल करने के विकल्पों की जानकारी भी दी जानी चाहिए। यह जानकारी उन्हें उस भाषा में दी जानी चाहिए, जिसे वे समझ सकते हैं और उस माध्यम से दी जानी चाहिए, जिस तक उनकी पहुँच हो।
#24
शिकायत प्रणालियों के डिज़ाइन और उसकी लगातार निगरानी के संबंध में श्रमिकों की राय भी ली जानी चाहिए (आदर्श रूप से श्रमिक संघ के प्रतिनिधियों के ज़रिए)।
#25
प्रभावित कर्मचारियों से उपचार के नतीजों की प्रभावशीलता और संतोषप्रदता के स्तर के बारे में भी राय ली जानी चाहिए।
#26
सभी कर्मचारियों को कामकाज के दौरान अपनी चिंताएँ व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और जब कभी भी वे अपनी चिंताएँ व्यक्त करें या गुप्त समस्या उजागर करें, तो उसके नकारात्मक नतीजों से उनकी सुरक्षा की जानी चाहिए।
तीसरे पक्ष
#27
कंपनियों और श्रमिकों को आपसी सहमति से तय किए गए विश्वसनीय और स्वतंत्र तीसरे पक्षों से शिकायतों का समाधान करने और स्वीकार्य उपचार के सिलसिले में किसी सहमति तक पहुँचने में मदद माँगनी चाहिए, हालाँकि ऐसा तभी किया जाना चाहिए, जब श्रमिक संघों और नियोक्ताओं के बीच सीधी बातचीत संभव न हो।
#28
तीसरे पक्ष मुख्य पक्षों के बीच स्वस्थ बातचीत का माहौल तैयार करने में निष्पक्ष भूमिका अदा करके हिस्सेदारों के बीच विश्वास को बढ़ावा दे सकते हैं और दूसरी तरफ़ वे गोपनीयता का सम्मान करते हुए दोनों पक्षों के लिए परस्पर संतोषजनक नतीजे हासिल करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
#29
कई हिस्सेदारों को एक साथ लाने पर उपचार प्रणालियों की कार्यकुशलता और प्रभावशीलता, दोनों में सुधार आता है। यह तरीका सहयोग का माहौल तैयार करके विश्वास को बढ़ावा दे सकता है।
#30
शिकायतों को प्रोसेस करने वाले तीसरे पक्षों को इसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए कि वे यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार से संबंधित शिकायतों का संवेदनशील और उचित ढंग से कैसे प्रबंधन कर सकते हैं।